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लेखनी प्रतियोगिता -17-Feb-2023


धरती की सतह पर
कुछ सिंदूरी गुलाली
किसी फूल सी खिलती
ये भोर की लाली।

मैं देख रहा हूँ 
बहुत चाव से इसको
बरबस तुम्हारी याद दिला
रहा है ये मुझको।

बादलों के बीच लाल
सूरज और उसकी आभा
जैसे तुम्हारे धुले बालों
में लाल बिंदी और दमकता माथा।

कितनी समानता है तुम्हारे
और भोर की लाली में
ऊर्जा घोल देते हैं दोनों
सुबह चाय की प्याली में।

छू कर मेरे अंतर्मन को
मुझको मुझसे जोड़ चली
घनी अंधेरी काली रात को
मीलों पीछे छोड़ चली।





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5 Comments

Gunjan Kamal

18-Feb-2023 11:07 PM

शानदार

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Renu

18-Feb-2023 06:49 PM

👍👍🌺

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Abhinav ji

18-Feb-2023 08:36 AM

Very nice 👌

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